About naat lyrics in english writing
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naat lyrics in urdu
इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ रंज-ओ-ग़म आज़ाद कुन दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर ! इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर ! असीरों के मुश्किल-कुशा, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! फ़क़ीरों के हाजत-रवा, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर ! गिरा है बलाओं में बंदा तुम्हारा मदद के लिए आओ, या ग़ौस-ए-आ'ज़म ! इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
रुत्बा ये विलायत में क्या ग़ौस ने पाया है
क़तरे को जैसे समेटे समंदर, मुझ को समेटे मताफ़ अपने अंदर
लाया कहाँ मुझ को मेरा मुक़द्दर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
मैं पानी का प्यासा नहीं हूँ मेरा सर कटाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है जो देखा है
मालो ज़र हो ये हमारा या के इ़ल्म ओ फ़न हुज़ूर।
मेरा दामन तो गुनाहों से भरा है, अल्ताफ़ !
हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर उन की तस्वीर सीने में मौजूद है जिस ने ला कर कलाम-ए-इलाही दिया वो मुहम्मद मदीने में मौजूद है हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर उन का जल्वा तो सीने में मौजूद है जिस ने ला कर कलाम-ए-इलाही दिया वो मुहम्मद मदीने में मौजूद है फूल खिलते हैं पढ़ पढ़ के सल्ले-'अला झूम कर कह रही है ये बाद-ए-सबा ऐसी ख़ुश्बू चमन के गुलों में कहाँ ! जो नबी के पसीने में मौजूद है हम ने माना कि जन्नत बहुत है हसीं छोड़ कर हम मदीना न जाएँ कहीं यूँ तो जन्नत में सब है मदीना नहीं और जन्नत मदीने में मौजूद है छोड़ना तेरा तयबा गवारा नहीं सारी दुनिया में ऐसा नज़ारा नहीं ऐसा मंज़र ज़माने में देखा नहीं जैसा मंज़र मदीने में मौजूद है ना'त-ख़्वाँ: महमूद जे.
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मैं पानी का प्यासा नहीं हूँ मेरा सर कटाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है जो देखा है
मुस्त़फ़ा, जान-ए-रह़मत पे लाखों सलाम शम्-ए-बज़्म-ए-हिदायत पे लाखों सलाम मेहर-ए-चर्ख़-ए-नुबुव्वत पे रोशन दुरूद गुल-ए-बाग़-ए-रिसालत पे लाखों सलाम शहर-ए-यार-ए-इरम, ताजदार-ए-ह़रम नौ-बहार-ए-शफ़ाअ़त पे लाखों सलाम शब-ए-असरा के दूल्हा पे दाइम दुरूद नौशा-ए-बज़्म-ए-जन्नत पे लाखों सलाम हम ग़रीबों के आक़ा पे बे-ह़द दुरूद हम फ़क़ीरों की सर्वत पे लाखों सलाम दूर-ओ-नज़दीक के सुनने वाले वो कान कान-ए-ला’ल-ए-करामत पे लाखों सलाम जिस के माथे शफ़ाअ'त का सेहरा रहा उस जबीन-ए-सआ'दत पे लाखों सलाम जिन के सज्दे को मेह़राब-ए-का’बा झुकी उन भवों की लत़ाफ़त पे लाखों सलाम जिस त़रफ़ उठ गई, दम में दम आ गया उस निगाह-ए-इ़नायत पे लाखों सलाम नीची आंखों की शर्म-ओ-ह़या पर दुरूद ऊँची बीनी की रिफ़्अ'त पे लाखों सलाम पतली पतली गुल-ए-क़ुद्स की पत्तियाँ उन लबों की नज़ाकत पे लाखों सलाम वो दहन जिस की हर बात वह़ी-ए-ख़ुदा चश्मा-ए इ़ल्म-ओ-हिकमत पे लाखों सलाम वो ज़बाँ जिस को सब कुन की कुंजी कहें उस की नाफ़िज़ ह़ुकूमत पे लाखों सलाम जिस की तस्कीं से रोते हुए हँस पड़ें उस तबस्सुम की अ़ादत पे लाखों सलाम हाथ जिस सम्त उठ्
While in the commencement of language, poetry is the initial step. Individuals communicate by way of poetry. Naat is definitely the phrase of poetry where poet praise the Holy Prophet Muhammad (P.
सामने जालियाँ हैं रौज़े की, दिल हमारे सलाम कहते हैं
इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ रंज-ओ-ग़म आज़ाद कुन दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर ! इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर ! असीरों के मुश्किल-कुशा, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! फ़क़ीरों के हाजत-रवा, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर ! गिरा है बलाओं में बंदा तुम्हारा मदद के लिए आओ, या ग़ौस-ए-आ'ज़म ! इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !